THE BEST HINDI STORY DIARIES

The best hindi story Diaries

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मोती भी उसको अपने हाथों से रोटी खिलाता।

बच्चा भी जोर जोर से चिल्ला रहा था। वह अपनी मां को पुकार रहा था। मां की करुणा आंसुओं में बह रही थी, किंतु बेबस थी।

The novel delves into your intricacies of their marriage, analyzing the societal expectations, moral dilemmas, and personal sacrifices they face. As the people navigate the troubles posed by really like, obligation, and honour, the novel raises profound questions about the character of good and evil. This Hindi fiction ebook is celebrated for its deep exploration of human feelings and also the philosophical themes it addresses.

पास ही वैद्यराज का घर था। वह संत को देख रहे थे। वैद्यराज दौड़ते हुए आए। उन्होंने बिच्छू को एक डंडे के सहारे दूर फेंक दिया।

यह बच्चों के लिए एक गुजराती लोक कथा है।

एक दिन रूपा बगीचे में खेल रही थी। तभी उसके पास एक तितली आ कर बैठी। इसके पंखों में हीरे जड़े हुए थे। तभी तितली उड़ चली और रूपा उसका पीछा करते करते जंगल में निकल गयी। कुछ देर बाद रूपा को एहसास हुआ की वह भटक गयी है। तभी तेज़ तूफ़ान शुरू हो गया और रूपा रोने लगी। अचानक से रूपा के पीछे लगे पीपल के पेड़ की डाली आगे आयी और उसने रूपा उठा कर कहा की उसके रहते रूपा को डरने की कोई ज़रुरत नहीं है। जब तक तूफ़ान थम नहीं गया, पीपल के पेड़ ने रूपा को अपने अंदर छिपाये रखा। तब तक रूपा को ढूंढते हुए सैनिक आ गए और उसे अपने साथ महल वापस ले गए।

आज सुरसिंह को अकेला देख सियार का झुंड टूट पड़ा। आज सियार को बड़ा शिकार मिला था।

मुकेश जब भी स्कूल जाता उसे रास्ते में कूड़ेदान से होकर गुजरना पड़ता था।

टॉफी बड़ा थी, रानी उठाने की कोशिश करती और गिर जाती। रानी ने हिम्मत नहीं हारी। वह दोनों हाथ और मुंह से टॉफी को मजबूती से पकड़ लेती है ।

अँधियारे गलियारे में चलते हुए लतिका ठिठक गई। दीवार का सहारा लेकर उसने लैंप की बत्ती बढ़ा दी। सीढ़ियों पर उसकी छाया एक बेडौल फटी-फटी आकृति खींचने लगी। सात नंबर कमरे से लड़कियों की बातचीत और हँसी-ठहाकों का स्वर अभी तक आ रहा था। लतिका ने दरवाज़ा खटखटाया। निर्मल वर्मा

नैतिक शिक्षा – मेहनत करने से कोई कार्य असम्भव नहीं होता।

'ठाकुर का कुआं', 'सवा सेर गेहूँ', 'मोटेराम का सत्याग्रह', जैसी प्रेमचंद की अनेक कहानियों में अंतर्भूत मानवीय संवेदना तथा जाति check here व्यवस्था के प्रति उनका दृष्टिकोण इस कहानी को कालजयी और आधुनिक बनाता है.

शांति ने ऊब कर काग़ज़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उठकर अनमनी-सी कमरे में घूमने लगी। उसका मन स्वस्थ नहीं था, लिखते-लिखते उसका ध्यान बँट जाता था। केवल चार पंक्तियाँ वह लिखना चाहती थी; पर वह जो कुछ लिखना चाहती थी, उससे लिखा न जाता था। भावावेश में कुछ-का-कुछ उपेन्द्रनाथ अश्क

एक महीने बीता पर कोकिला के कंठ से आवाज़ नहीं निकली। जगतगुरु इसका समाधान पूछने अपने राज्य के एक तपस्वी प्रशांत बाबा के पास गया। वहां प्रशांत बाबा ने उसे समझाया की शंगरीला की खुशहाली का राज़ कोकिला नहीं बल्कि ऋषिराज का दयालु और मेहनती स्वभाव है। प्रशांत बाबा ने जगतसुरु से अपने स्वार्थी स्वाभाव को छोड़ कर कोकिला को वापस लौटाने की सलाह दी। जगतगुरु ने प्रशांत बाबा की बात मानी और कोकिला को ऋषिराज को वापस लौटा दिया। कुछ दिन बाद डोंगरीला भी समृद्ध और खुशहाल राज्य बन गया।

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